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डिजिटलीकरण की बुनियाद: कैसे मॉडल सब-रजिस्टार कार्यालय भारतीय रियल एस्टेट लेनदेन को बदल रहे हैं

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने नागरिकों के लिए एक आधुनिक, ऑनलाइन, पेपरलेस रजिस्ट्रेशन प्रणाली के उद्देश्य से “पंजीकरण विधेयक, 2025” का मसौदा तैयार किया है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य भर में मॉडल सब-रजिस्टार कार्यालयों (Model SROs) की पहली चरण की शुरुआत की है, जो शासन में सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है—जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को पारदर्शी, सुगम और प्रभावी बनाना। इस पहल से रियल एस्टेट क्षेत्र में लेनदेन की प्रकिया आधुनिक रूप में परिवर्तित हो रही है।

समय के साथ तकनीकी प्रगति
1908 में बना पंजीकरण अधिनियम पिछले एक शताब्दी से अधिक समय से भारत में दस्तावेज़ पंजीकरण की रीढ़ रहा है। यह अधिनियम रियल एस्टेट और अन्य दस्तावेज़ों को वैधता प्रदान करता है। यह प्रक्रिया संपत्ति लेन-देन और व्यावसायिक गतिविधियों को कानूनी संरक्षण प्रदान करती है। इन दस्तावेजों की महत्ता समय के साथ और अधिक बढ़ी है क्योंकि ये सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में निर्णयों की नींव रखते हैं। अब समय की मांग है कि यह प्रक्रिया तकनीकी और सामाजिक बदलावों के साथ आगे बढ़े।

इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार ने पंजीकरण विधेयक 2025 का मसौदा पेश किया है, जिससे पंजीकरण प्रक्रिया पूर्णतः डिजिटल और पेपरलेस बन सके। यह विधेयक छत्तीसगढ़ की मॉडल SRO पहल के अनुरूप है।

अब नागरिक घर बैठे ही संपत्ति का पंजीकरण कर सकते हैं। इस प्रणाली से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि बिचौलियों की भूमिका भी खत्म होगी और प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी। डिजिटल रिकॉर्ड आधुनिकता को बढ़ावा देंगे और कानूनी विवादों को रोकने में मदद करेंगे। भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते कदम के लिए यह एक आवश्यक सुधार है।

छत्तीसगढ़ के मॉडल SRO: भविष्य की एक झलक
छत्तीसगढ़ में 104 में से 19 सब-रजिस्टार कार्यालयों को पहले चरण में आधुनिक डिजिटल ढांचे से सुसज्जित किया जा रहा है। इन कार्यालयों में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए अलग काउंटर, टोकन सिस्टम, रीयल-टाइम स्टेटस अपडेट, और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।

दस्तावेजों की स्कैनिंग, प्रिंटिंग, फोटोकॉपी जैसी सुविधाएं एक ही स्थान पर मिल रही हैं। डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड, CCTV निगरानी, शिकायत निवारण प्रणाली, पीने का पानी और वातानुकूलित प्रतीक्षालय जैसी आधुनिक सुविधाएं इन कार्यालयों को नागरिक-अनुकूल बना रही हैं।
एक व्यापक सुधार की शुरुआत छत्तीसगढ़ की यह पहल देश के अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श बन सकती है। डिजिटल शासन के इस दौर में यह पहल भारत में संपत्ति पंजीकरण प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।

यह सुधार सिर्फ कागज़ी कार्यवाहियों को तेज़ नहीं करता, बल्कि डिजिटल रिकॉर्ड और सुरक्षित दस्तावेज़ों की वजह से ऋण, बंधक जैसे वित्तीय कार्यों को भी आसान बनाता है। अवैध कब्ज़ा और फर्जीवाड़े जैसे मामलों से निजात मिलेगी। अब आम नागरिक भी आत्मविश्वास से संपत्ति की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं, वह भी बिना किसी दलाल या अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप के।

निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ की मॉडल SRO पहल भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में बदलाव की शुरुआत है। पंजीकरण विधेयक, 2025 इस परिवर्तन का कानूनी आधार बनेगा। अगर अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाते हैं, तो संपत्ति खरीदना एक सरल, पारदर्शी और नागरिकों के अनुकूल अनुभव बन सकता है। भारत धीरे-धीरे उपनिवेशकालीन व्यवस्था को पीछे छोड़कर, एक आधुनिक और तकनीक-आधारित रियल एस्टेट इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहा है—और सच कहें तो, अब इसकी सख्त ज़रूरत है।

(लेखक: शिखर अग्रवाल, चेयरमैन, बीएलएस ई-सर्विसेज एवं जॉइंट एमडी, बीएलएस इंटरनेशनल)

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