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मध्यप्रदेश
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गांवों में बढ़ेगा पर्यटन, अभी हैं 116 होम-स्टे, भविष्य में और बढ़ेंगे

गांव की अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती

पर्यटन गांव बनाने प्रस्ताव भेजें पंचायतें – ग्रामीण विकास मंत्री पटेल

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भोपाल । मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन बढ़ने से अब गांव की अर्थ-व्यवस्था को मजबूती मिल रही है। प्रदेश में अभी तक 116 होम-स्टे हैं । इनकी संख्या बढ़ाई जायेगी। ग्रामीण संस्कृति और परिवेश को समझने विदेशों और शहरों से पर्यटक आकर रुकने लगे हैं और उनकी संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे गांवों की पहचान की जा रही है जिनमें पर्यटन की भरपूर संभावना है।

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ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री  प्रहलाद पटेल ने सभी पंचायतों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां पर्यटन की संभावना वाले गांवों की पहचान कर पर्यटन गांव बनाने के लिए प्रस्ताव भेजें। उन्होंने कहा कि ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने से गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

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छिंदवाड़ा के तमिया विकासखंड के झिरपा से 6 किलोमीटर अंदर 300 घरों का सावरवानी गांव 2019 से पर्यटन गांव बन चुका है। अब तक यहां 300 से ज्यादा विदेशी पर्यटकों ने आकर गांव की संस्कृति, खान- पान की संस्कृति समझी। खेती-किसानी, पशुपालन की गतिविधियों को स्वयं शामिल भी हुए। इन पर्यटकों में दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, यूरोप, रूस, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम के पर्यटक मुख्य रूप से शामिल है।

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सावरवानी में वे सब सुविधाएं हैं जो आदर्श गांव के लिए अनिवार्य हैं। सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गांवों की शांति और प्राकृतिक परिवेश पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करता है। यहाँ शांत वातावरण में रुक कर आसपास के छोटे-छोटे प्राकृतिक पर्यटन स्थलों की सैर कर पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं जैसे अनहोनी गर्म कुंड, अनहोनी मेला, सप्तधारा, चांवलपानी के पास स्थित खारा पानी दैविक कुंड, घोघरा वाटरफाल, तामिया, पातालकोट, मौनीबाबा की पहाड़ी के साथ झिंगरिया वाटरफाल। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का बफर जोन का बरगोदी गांव यहां से सटा हुआ है।

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पर्यटकों के लिए ब्रेक फास्ट, लंच और डिनर का पूरा पैकेज है। इसके अलावा बैलगाड़ी की सैर, गायों का दूध दुहना, उन्हें चारा खिलाना, खेती किसानी के छोटे-छोटे काम करना और पास की मोनाखेड़ी पहाड़ी में ट्रैकिंग की सुविधा, भजन मंडली और जनजातीय करमा नृत्य मंडली भी उपलब्ध होने से सावरवानी में रुकना यादगार बन जाता है और स्मृति लंबे समय तक बनी रहती है।

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इस होम स्टे – वेदिका हिल्स का प्रबंधन गांव की पर्यटन विकास समिति करती है। इस समिति के अध्यक्ष  कमलेश्वर यदुवंशी है। उपाध्यक्ष  राम प्रसाद सलाम और सचिव   दुर्गेश हैं। समिति के 15 अन्य सदस्यों में  रमेश परतेती,  नरेश नागवंशी,   मनोज भोरवंशी शामिल है। हर सदस्य के पास पर्यटन की अलग-अलग गतिविधियों की संचालन की जिम्मेदारी है। प्रत्येक गतिविधि का शुल्क निर्धारित है। जैसे जनजातीय शैला नृत्य के लिए 1000 रूपये और भजन मंडली की प्रस्तुति के लिए 500 रूपये, गाइड के लिए 500 रूपये , देशी खाना बनाने के लिए 300 रूपये शुल्क है।

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समिति के उपाध्यक्ष  रामप्रसाद बताते हैं कि पास में ही तीन चार किलोमीटर की दूरी में शाहवन और पुरातला गांव है। यहां के लोगों का भी अब रुझान बढ़ रहा है और अब ऐसे 6 होम-स्टे बन गए हैं।

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समिति के सचिव  दुर्गेश बताते हैं कि पर्यटकों के आने से गांव की अर्थव्यवस्था ठीक हो गई है। इस साल पर्यटकों ने 350 किलो प्राकृतिक रूप से उगाया गया गेंहू खरीदा। पर्यटक यहां से दूध, दही और सब्जी भी ले जाते हैं। ज्यादा फायदा घी बनाने वालों को हुआ है। पहले घी बनने के बाद बेचने के लिए रविवार के हाट बाजार का रास्ता देखा जाता था। अब पर्यटक उनके घर से ही खरीद लेते हैं। वर्तमान में देशी घी 800 प्रति किलो है और यह इस भाव में आसानी से बिक जाता है। अलावा यहां उगा हुआ चावल विशेष रूप से बासमती चावल भी हाथों-हाथ बिक जाता है। मक्का, ज्वार और बाजरे की रोटियां, परांठे और भजिए एवं अन्य व्यंजन काफी पसंद किए जाते हैं। टमाटर की चटनी और मक्के की रोटी विशेष रूप से पसंद की जाती है। स्थानीय सब्जियों की भी मांग रहती है।

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नयनाभिराम भरतीपुर

रायसेन में दीवानगंज से 35 किलोमीटर दूर शाहपुर ग्राम पंचायत के भरतीपुर गांव के होम-स्टे की ख्याति अब धीरे-धीरे बढ़ रही है। दो साल पहले ही इसकी शुरुआत हुई। इस होम-स्टे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके आसपास का जंगल लुभावना है। यहां से मात्र दो किलोमीटर दूर सोनाली बौद्ध स्तूप है। इस स्थान पर भी एक साल भर सतत् बहने वाला झरना है। इससे घने जंगल की पृष्ठभूमि में अनूठा दृश्य उपस्थित होता है। यहां पर्यटक अपने मनपसंद का देशी खाना खा सकते हैं विशेष रूप से दाल-बाटी। पर्यटक शांत वातावरण में गहन इतिहास बोध के साथ आध्यात्मिक आनन्द की अनुभूति कर सकते हैं।

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