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खुद को गुदगुदी करने पर क्यों नहीं छूटती हंसी? जानिए पूरा साइंस

नई दिल्ली। जरा सोचिए, आप अपने दोस्त के साथ बैठे हैं और अचानक वह आपको गुदगुदी करने लगता है। आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते हैं, खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगते हैं, लेकिन अब बताइए, अगर आप खुद को गुदगुदी करें तो क्या होगा? जवाब है- कुछ नहीं! कोई हंसी नहीं, कोई अजीब एहसास नहीं।

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क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आखिर खुद को गुदगुदी करने पर वह बेचैने भरा मजेदार एहसास क्यों नहीं होता, जो किसी और के छूने पर महसूस होता है? बता दें, कि इस सवाल का जवाब छिपा है हमारे दिमाग की सुपर-पॉवर में! आइए, इस आर्टिकल में इस विषय को विस्तार से समझते हैं।

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ब्रेन पहले से जान जाता है आपकी हरकतें

हमारा दिमाग इतना तेज और होशियार है कि वह हमारी अपनी हरकतों को पहचान लेता है। जब आप खुद को गुदगुदी करने की कोशिश करते हैं, तो आपका ब्रेन पहले से ही जान जाता है कि आप क्या करने वाले हैं। इसलिए, यह टच न तो अजीब लगता है और न ही बॉडी कोई मजेदार रिएक्शन क्रिएट करती है।

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दूसरी तरफ, जब कोई और आपको गुदगुदी करता है, तो आपका ब्रेन इस टच की भविष्यवाणी नहीं कर सकता। यह एक सरप्राइज बन जाता है, जिससे शरीर झटपट रिएक्शन देने लगता है और आपकी हंसी छूट पड़ती है।

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ब्रेन का मास्टर कंट्रोलर है सेरिबेलम

हमारे दिमाग का एक खास हिस्सा सेरिबेलम , जो शरीर की एक्टिविटीज को कंट्रोल करता है, इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड है। जब हम खुद को गुदगुदी करते हैं, तो सेरिबेलम यह गणना कर लेता है कि यह स्पर्श हमारी अपनी हरकत है, लेकिन जब कोई और हमें गुदगुदी करता है, तो यह एक नया एक्सपीरिएंस बन जाता है, जिससे हमारा शरीर चौंक जाता है और तुरंत रिएक्शन देता है।

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यही वजह है कि आप अपने हाथ से खुद को मारने की कोशिश करें, तो ज्यादा दर्द नहीं होता, लेकिन अगर वही झटका कोई और मारे तो ज्यादा तेज महसूस होता है।

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सिर्फ मजे के लिए नहीं है गुदगुदी

आपको बता दें कि गुदगुदी सिर्फ मजे के लिए नहीं होती, बल्कि यह हमारी बॉडी के सिक्योरिटी सिस्टम का हिस्सा है। हमारे पूर्वजों के समय, जब इंसान जंगलों में रहा करते थे, तब शरीर के सेंसिटिव हिस्सों को बचाने के लिए यह नेचुरल रिएक्शन विकसित हुआ।

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गुदगुदी आमतौर पर शरीर के उन हिस्सों में सबसे ज्यादा महसूस होती है, जो सेंसिटिव और कमजोर होते हैं- जैसे कि गर्दन, पेट और बगल। जब कोई हमें गुदगुदी करता है, तो यह दिमाग को संकेत भेजता है कि यह हिस्सा सुरक्षित नहीं है, और हमें वहां से हटने या हिलने के लिए मजबूर कर देता है।

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क्या कोई खुद को गुदगुदी कर सकता है?

अगर आप सोच रहे हैं कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे खुद को गुदगुदी करके हंसा जा सके, तो इसका जवाब है- शायद रोबोट की मदद से! जी हां, कई शोध बताते हैं कि अगर कोई रोबोट हमें गुदगुदी करे और हमारा दिमाग यह समझे कि यह किसी और का टच है, तो हमें हंसी आ सकती है। यानी, अगर दिमाग को भ्रमित किया जाए, तो खुद को गुदगुदी करके भी हंसी लाई जा सकती है।

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