
छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ के लिए दस मार्च का दिन बड़ा ऐतिहासिक रहा। यह दिन राज्य के भविष्य के विकास को नई दिशा देने वाला है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में एनर्जी इन्वेस्टर्स समिट के दौरान ऊर्जा क्षेत्र में तीन लाख करोड़ रूपए से अधिक के निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौते प्रदेश के विकास का रोडमैप भी तय कर रहे हैं। आने वाले एक दशक में प्रदेश में 31 हजार मेगावॉट अतिरिक्त बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

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मुख्यमंत्री साय ने ठीक ही कहा कि छ्त्तीसगढ़ को प्रकृति ने जो वरदान दिया है कि उसका सार्थक उपयोग प्रदेश और देश के विकास में होना चाहिए। विकसित भारत और ऊर्जा की मांग भारत सरकार ने विकसित भारत की जो संकल्पना की है उसमें ऊर्जा क्षेत्र की सबसे अहम भूमिका होगी और ऐसे में अगले तीन दशक की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति करना व्यापक कार्ययोजना से ही संभव है। 20 वें विद्युत सर्वेक्षण में अनुमान है कि विद्युत की खपत अगले दस वर्षों तक लगभग 6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और वर्ष 2047 में हमारी अधिकतम मांग 750 गीगावॉट तक जा पहुंचेगी। ऐसे में मिशन मोड पर विद्युत ऊर्जा उत्पादन की आवश्यता होगी।
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ताप विद्युत उत्पादन की सीमाओं को समझते हुए तथा शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए वर्ष 2070 के लक्ष्य के बीच नवीकरणीय ऊर्जा समेत अन्य विकल्पों पर देशभर में तेजी से काम किया जा रहा है। ऊर्जा उत्पादन की संभावनाओं के बीच देश की निगाह छ्त्तीसगढ़ की ओर टिकी हुई है। वर्तमान में प्रदेश में राज्य, केन्द्र एवं निजी क्षेत्र के उत्पादकों के प्रयासों से 30 हजार मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता प्राप्त कर ली गई है। प्रदेश में ऊर्जा उत्पादन की नई पारी में ताप के साथ नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का महत्व बढ़ा है। केन्द्र और निजी क्षेत्र की बढ़ती साझेदारी राज्य की स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी (सीएसपीजीसीएल) , सार्वजिक क्षेत्र की विद्युत उत्पादक नेश्नल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन (एनटीपीसी) , टिहरी हाइडल पॉवर डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन( टीएचडीसी), सतलज जल विद्युत निगम लि.(एसजेवीएन) सहित निजी क्षेत्र की अडानी पॉवर लिमिटेड एवं अन्य बड़े निवेशकों ने ताप समेत पन बिजली के क्षेत्र में 17 हजार मेगावॉट विद्युत उत्पादन के लिए समझौता किया है। इसके लिए होने वाले निवेश से प्रदेश को समग्र विकास का आधार मिलेगा। ऊर्जा उत्पादन इकाइयों के आने से औद्योगीकरण की संभावनाएं बढ़ती हैं और प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हजारों युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिलते हैं। * परमाणु ऊर्जा के लिए खुलेंगे द्वार*
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प्रदेश में लगभग डेढ़ दशक पहले सरायपाली के पास यूरेनियम भंडार की खोज की गई थी और उसके बाद से ही यहाँ परमाणु ऊर्जा उत्पादन की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा था । एनटीपीसी ने एक बड़ा निवेश प्रदेश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए करने का निर्णय लिया है और इसमें वो 4200 मेगावॉट विद्युत उत्पादन करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। यह प्रदेश में पहली परमाणु विद्युत उत्पादन इकाई होगी। सस्ता और टिकाऊ विकल्प है हरित ऊर्जा अगले दस वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 600 गीगावॉट करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। गैर- जीवाश्म ईंधन के तौर पर सौर ऊर्जा,पन बिजली, पवन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों पर जोर दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त बैटरी ऊर्जा स्टोरेज, स्वदेश में विकसित सरफेस हाइड्रो काइनेटिक टरबाइन प्रौद्योगिकी को भी मान्यता दी गई है। इसके साथ ही इन ऊर्जा स्रोतों में भी नए प्रयोग किए जा रहे हैं जो अंततः विद्युत मांग की पूर्ति पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना कर सके।पीक डिमांग से निपटने पम्प स्टोरेज है कारगर
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ताप विदयुत संयंत्रों में तत्काल विद्युत उत्पादन को कम और ज्यादा नहीं किया जा सकता है ऐसे में विदयुत को संधारित कर आवश्यकता अनुसार उपयोग करने के लिए बैटरी स्टोरेज और पंप स्टोरेज जैसे विकल्प अधिक कारगर हैं। अनुमान के मुताबिक देश में पंप स्टोरेज तकनीक के जरिए 134 गीगावॉट विद्युत उत्पादन की क्षमता है, इसमें से पहले चरण में 2030 तक 39 गीगावॉट उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कड़ी में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी से राज्य में 6400 मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता विकसित करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर कर राज्य ने एक ठोस पहल कर दी है। अगले एक दशक के अंदर प्रदेश में कुल उत्पादन क्षमता का 30 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। सौर ऊर्जा सबसे सुलभ विदयुत विकल्प है। ऐसे में इसे बड़े उत्पादन संयंत्रों तक सीमित न रखकर आम उपभोक्ता को विदयुत उत्पादक बनाने की योजना पर काम चल रहा है। महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना को और अधिक आकर्षक बनाते हुए केन्द्र के साथ राज्य सरकार भी अब वित्तीय मदद पहुँचाकर विद्युत उत्पादन में आम लोगों की भूमिका बढ़ाना चाह रही है।
पारेषण और वितरण प्रणाली होंगी मजबूत* उत्पादित बिजली का समुचित पारेषण और वितरण सुनिश्चित करने के लिए पारेषण और वितरण क्षेत्र में भी राज्य बड़ा निवेश करने जा रही है। असल में पारेषण प्रणाली की मजबूती के बगैर विद्युत मांग की आपूर्ति का दबाव नहीं थामा जा सकता है। प्रदेश में आज 14 हजार 249 सर्किट किलोमीटर की अतिऊच्चदाब लाईने हैं जिसकी क्षमता 25 हजार 617 एमव्हीए है। छ्त्तीसगढ़ में 1700 मेगावॉट अंतर राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम नेटवर्क के विकास की स्वीकृति केन्द्र से प्राप्त हुई है जिससे हमारे ताप विद्युत की निकासी को सुगम बनाया जाएगा। 400 केव्ही के 09, 220 केव्ही के 26 तथा 132 केव्ही के 48 नए उपकेन्द्र अगले दस वर्षों में बनाया जाना है। आज ऊर्जा के ऐसे विकल्प पर पूरा विश्व कार्य कर रहा है जिसमें वहनीयता ( सस्टेनेबलिटी),विश्वसनीयता के साथ पर्याप्तता और स्थिरता हो। ऊर्जा क्षेत्र के लिए लगभग तीन लाख करोड़ रूपए का निवेश राज्य के वर्तमान और भविष्य दोनों को प्रभावित करने वाला है। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी एक बड़े उत्पादक के रूप में छत्तीसगढ़ की पहचान होगी और ऊर्जा क्षेत्र में राज्य की आत्मनिर्भरता आने वाले दिनों में समृद्धि का आधार बनेगी।
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विकास शर्मा
प्रकाशन अधिकारी
सीएसपीडीसीएल