
जसप्रीत बुमराह: 8 महीने की उम्मीद से 10 साल का सफ़र
एक अनोखी शुरुआत और एक दशक का दबदबा- जब जसप्रीत बुमराह ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया, तो कई लोगों को लगा कि उनका अनोखा गेंदबाजी अंदाज ज़्यादा दिन नहीं चलेगा। कई ने तो 8-10 महीने की ही भविष्यवाणी की थी। लेकिन बुमराह ने न सिर्फ उन भविष्यवाणियों को गलत साबित किया, बल्कि पिछले एक दशक से भारतीय पेस अटैक की रीढ़ बनकर खड़े हैं। यह सफलता सिर्फ़ प्रतिभा से नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत का नतीजा है।
आलोचना? बस काम पर ध्यान- चोटों के बाद आलोचनाओं के बारे में पूछे जाने पर बुमराह का जवाब सीधा-साधा था – “लोग कहते रहेंगे, मैं अपना काम करता हूँ।” उनका मानना है कि चार महीने बाद फिर वही बातें सुनने को मिलेंगी। लेकिन वो ऊपर वाले पर भरोसा रखते हुए खेलते रहेंगे। यही उनका अलगपन है – वो तैयारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बाकी सब भगवान भरोसे।
दूसरों की राय मायने नहीं रखती-बुमराह को मीडिया या सोशल मीडिया की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका कहना है, “हेडलाइन्स बनें, व्यूज़ आएँ, मुझे कोई परवाह नहीं।” यह नज़रिया उन्हें मैदान पर फोकस्ड और दबाव मुक्त रखता है, जो किसी भी खिलाड़ी के लिए बेहद ज़रूरी है। उनका ध्यान खुद को बेहतर बनाने पर है, दूसरों की सोच बदलने पर नहीं।
पिच पर नज़र, नतीजों पर नहीं-अपने पहले टेस्ट मैच में 5 विकेट लेकर बुमराह ने पिच का बिलकुल स्पष्ट आकलन किया। उन्होंने कहा, “पिच अभी बैटिंग के लिए अच्छी है, लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ेगा, थोड़ी क्रैकिंग हो सकती है।” उनका ध्यान हमेशा मौजूदा परिस्थितियों पर रहता है, नतीजों पर नहीं। यह एक टेस्ट क्रिकेटर का परिपक्व नज़रिया है।
टीम के लिए एक लीडर-मैच में कुछ आसान कैच छूटने पर भी बुमराह ने किसी को दोष नहीं दिया। उन्होंने कहा, “हर कोई पूरी कोशिश करता है, गुस्सा करने से कुछ नहीं होगा।” यह उनकी नेतृत्व क्षमता को दिखाता है। टीम के साथ उनका सहज और सकारात्मक रवैया खिलाड़ियों को आत्मविश्वास से खेलने का मौका देता है।
भूतकाल नहीं, भविष्य पर ध्यान-बुमराह का मानना है कि बीते हुए पर पछताने से अच्छा है आगे देखना। छोटी-मोटी गलतियों पर ज़्यादा सोचना फायदेमंद नहीं। उनका फोकस हमेशा अगली गेंद पर होता है। शायद यही कारण है कि हर चोट के बाद वो और भी मज़बूत बनकर वापसी करते हैं।
प्रेरणा का नाम बुमराह-जसप्रीत बुमराह की कहानी सिर्फ़ क्रिकेट की नहीं, बल्कि जीवन की भी है। उन्होंने हर चुनौती का सामना किया और अपनी जगह खुद बनाई। चोटों, आलोचनाओं और उम्मीदों के बीच उन्होंने अपने प्रदर्शन से जवाब दिया। वो एक बेहतरीन क्रिकेटर होने के साथ-साथ एक प्रेरणा भी हैं।