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धुंध ने पंजाब में  राेकी ट्रेनों की रफ्तार, एफएसडी  की मदद लेंगे लोको पायलट

पंजाब। उत्तरी भारत में धुंध व कोहरे से दिक्कतों का दौर शुरू हो गया है । लोको पायलटों को हिदायत जारी की गई हैं कि धुंध में पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार 50 और मालगाड़ियों की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा रखें। इसके अलावा जीपीएस फाॅग सेफ्टी डिवाइस (एफएसडी) धुंध में लोको पायलट को ट्रेन चलाने में मदद करेगा।

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रेल डिवीजन फिरोजपुर के मैकेनिकल विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि धुंध का ट्रेनों पर काफी असर पड़ रहा है। धुंध और रात के अंधेरे में लोको पायलट को सिग्नल देखने में काफी दिक्कत आ रही है इसलिए लोको पायलटों को हिदायत दी है कि धुंध में पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार 50 किमी मीटर और मालगाड़ियों की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा रखें। रास्ते में कहीं पर थोड़ा बहुत साफ मौसम होने पर ट्रेन को 75 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से ज्यादा न दौड़ाएं। धुंध में ट्रेन चलाने के लिए जीपीएस फाॅग सेफ्टी डिवाइस का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

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कई बार रास्ते में घनी धुंध होने के चलते उक्त यंत्र सही से काम नहीं कर पाता। ऐसे में विद्युतीकरण ट्रैकों के पोलो पर सिग्मा चिन्ह लगा होता है, जो दूर से चमकता है, इससे लोको पायलट को आने वाले सिग्नल की दूरी का अनुमान हो जाता है। इसे देखकर लोको पायलट ट्रेन की रफ्तार धीमी कर सिग्नल तक पहुंचता है और सिग्नल क्लीयर होने पर ट्रेन को आगे बढ़ाता है। रेल डिवीजन फिरोजपुर के अधिकारियों ने धुंध में फिरोजपुर-लुधियाना, जालंधर, बठिंडा, फाजिल्का रेल सेक्शन के अलावा अन्य सेक्शनों में पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की है। अधिकारी ने बताया कि लोको पायलटों को यह भी कहा गया है कि जहां धुंध बहुत ज्यादा है वहां पर खुद ट्रेन की रफ्तार निश्चित करें।

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अधिकारी ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए धुंध में दौड़ रही ट्रेन के लोको पायलट पर पैनी नजर रखी जा रही है। मैकेनिकल के अधिकारी क्राॅसिंग रेलवे फाटकों और अगले स्टेशन पर खड़े होकर लोको पायलटों पर नजर रख रहे हैं कि दी गई हिदायतों के मुताबिक ट्रेन दौड़ा रहे हैं या नहीं। जो लोको पायलट रेलवे के नियमों की पालना नहीं करता है, उसे विभागीय सजा दी जाती है। रात के समय स्पेशल चेकिंग की जा रही है।

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धुंध के कारण कई ट्रेनें देरी से चल रही हैं। शुक्रवार को फिरोजपुर-होशियारपुर पैसेंजर ट्रेन को रद्द किया जा रहा था। सिख श्रद्धालुओं की मांग पर उक्त ट्रेन को देरी से रवाना किया गया। उक्त ट्रेन वीरवार को भी सुबह सवा छह बजे के बजाय सुबह 7.34 बजे चलाया थी। रेल अधिकारियों का कहना है कि राजनीतिक नेता नई ट्रेन चलाने की घोषणा कर देते हैं।

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इस तरह ट्रेनों की संख्या बहुत बढ़ गई है, जबकि रेल पटरियां ट्रेनों के मुताबिक नहीं बिछाई जा रही हैं। यह भी बहुत बड़ा कारण है। कई सेक्शनों में ट्रैकों पर मालगाड़ियां खड़ी हैं। रेल प्रशासन ने धुंध को देखते हुए मेल, एक्सप्रेस व पैसेंजर 32 ट्रेनें एक दिसंबर 2024 से 29 फरवरी 2025 तक रद्द कर दी हैं।

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