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ITR फाइल करने से पहले जान लें, ये 5 चीजें तो बच सकता है टैक्स

ITR फाइल करने से पहले जान लें, ये 5 चीजें तो बच सकता है टैक्स

आयकर रिटर्न ITR फाइल करना हर करदाता के लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। यह न केवल कानूनी रूप से आवश्यक है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि आपका वित्तीय रिकॉर्ड सही और अद्यतित है। ITR फाइल करने से सरकार को आपकी आय और टैक्स देनदारी की जानकारी मिलती है, जिससे टैक्स प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहती है।

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कई लोग यह नहीं जानते कि उनकी इनकम के कुछ हिस्से पर टैक्स नहीं लगता है। यह जानकारी सभी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे आप अपनी टैक्स देनदारी को सही तरीके से समझ सकते हैं और बिना किसी चिंता के ITR फाइल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार की इनकम जैसे कि कृषि आय, कुछ प्रकार की गिफ्ट्स और अन्य निर्दिष्ट सेक्शंस के तहत आने वाली आय पर टैक्स नहीं लगता।

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यह ब्लॉग पोस्ट आपको उन प्रकार की इनकम के बारे में जानकारी देगा जिन पर कोई टैक्स नहीं लगता। इस जानकारी से आप न केवल अपने टैक्स रिटर्न को सही तरीके से फाइल कर पाएंगे, बल्कि अपने वित्तीय प्रबंधन को भी बेहतर बना सकेंगे। इसलिए, आगे बढ़ने से पहले यह जानना आवश्यक है कि कौन-कौन सी इनकम टैक्स फ्री हैं ताकि आप बेवजह टैक्स पेमेंट से बच सकें।

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कृषि आय
भारत में कृषि आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है, जो कि एक महत्वपूर्ण राहत है उन लोगों के लिए जो कृषि से अपनी आजीविका कमाते हैं। कृषि आय का मतलब होता है किसी भी प्रकार की आय जो कृषि से उत्पन्न होती है, जैसे कि खेती, बागवानी, या वन्य उत्पादों की बिक्री से प्राप्त होने वाली आय। यह इनकम टैक्‍स अधिनियम, 1961 की धारा 10(1) के अंतर्गत छूट प्राप्त है।

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कृषि आय को टैक्स फ्री घोषित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि कृषि एक अस्थिर और जोखिम भरा व्यवसाय है, और किसानों को इससे राहत प्रदान करना आवश्यक है। टैक्स फ्री कृषि आय में खेती से होने वाली आय, बागवानी से प्राप्त आय, और वनों से प्राप्त आय शामिल हैं। इसके अलावा, पशुपालन, मुर्गी पालन, और मत्स्य पालन से प्राप्त आय भी कृषि आय के अंतर्गत आती है, बशर्ते कि ये गतिविधियाँ कृषि भूमि पर ही की जा रही हों।

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कृषि आय का क्लेम करते समय कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। इनमें भूमि का स्वामित्व प्रमाण पत्र, फसल उत्पादन का रिकॉर्ड, और बिक्री रसीदें शामिल होती हैं। इन दस्तावेज़ों से यह प्रमाणित किया जा सकता है कि आय वास्तव में कृषि से प्राप्त हुई है। इसके अलावा, यदि किसान किसी सरकारी योजना का लाभ ले रहे हैं, तो उसके भी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पड़ सकते हैं।

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यह ध्यान रखना आवश्यक है कि केवल वास्तविक कृषि आय ही टैक्स फ्री होती है। कृषि उपज की प्रोसेसिंग से प्राप्त आय, जैसे कि पके हुए या प्रोसेस्ड खाद्यान्न की बिक्री से प्राप्त आय, टैक्स फ्री नहीं होती। इसलिए, कृषि आय का सही प्रकार से निर्धारण और दस्तावेज़ीकरण अत्यंत आवश्यक है ताकि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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छात्रवृत्ति और शिक्षा अनुदान
विशेष रूप से छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति और शिक्षा अनुदान पर कोई income tax नहीं लगता है। इस प्रकार की इनकम को टैक्स फ्री घोषित किया गया है ताकि छात्रों को उनकी शिक्षा में आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके। भारत में, इनकम टैक्स कानून के तहत, कुछ विशेष प्रकार की छात्रवृत्ति और अनुदान को टैक्स से मुक्त रखा गया है।

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विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति और शिक्षा अनुदान, जो टैक्स फ्री होते हैं, में प्रमुख रूप से वे छात्रवृत्तियाँ शामिल हैं जो किसी सरकारी संस्था, शिक्षा बोर्ड, विश्वविद्यालय या रजिस्टर्ड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा, छात्रवृत्ति और अनुदान जो विदेश में पढ़ाई के लिए दी जाती हैं, वे भी टैक्स से मुक्त होती हैं।

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छात्रवृत्ति और शिक्षा अनुदान टैक्स फ्री होने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना आवश्यक होता है। सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि छात्रवृत्ति या अनुदान का उपयोग केवल शिक्षा से संबंधित खर्चों के लिए किया जाना चाहिए, जैसे कि ट्यूशन फीस, किताबें, हॉस्टल फीस आदि। इसके अलावा, यह भी आवश्यक है कि छात्रवृत्ति या अनुदान प्राप्तकर्ता को किसी प्रकार की सेवा या काम करने के लिए बाध्य ना किया गया हो।

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छात्रवृत्ति और शिक्षा अनुदान को टैक्स फ्री रखने का मुख्य उद्देश्य यह है कि छात्रों को उनकी शिक्षा में वित्तीय बाधाओं का सामना ना करना पड़े और वे अपनी शिक्षा पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकें। इस प्रकार की टैक्स फ्री इनकम का लाभ उठाकर, छात्र अपने भविष्य को संवार सकते हैं और देश की प्रगति में योगदान दे सकते हैं।

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पीएफ और ग्रेच्युटी
पीएफ (Provident Fund) और ग्रेच्युटी (Gratuity) भारतीय कर प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकम टैक्स एक्ट के तहत, पीएफ और ग्रेच्युटी का एक निश्चित अंश टैक्स फ्री होता है, जिससे करदाताओं को राहत मिलती है।

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पीएफ के तहत, अगर आप एक मान्यता प्राप्त प्रोविडेंट फंड में योगदान करते हैं, तो आपके द्वारा जमा की गई राशि टैक्स फ्री होती है। धारा 10(11) और 10(12) के तहत, ईपीएफ (Employees’ Provident Fund) और पीपीएफ (Public Provident Fund) से मिलने वाली राशि पूर्णतः टैक्स फ्री होती है, बशर्ते कि पीपीएफ का खाता न्यूनतम 15 वर्षों तक सक्रिय रहे।

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ग्रेच्युटी के मामले में, यदि आप एक सरकारी कर्मचारी हैं, तो आपको प्राप्त होने वाली सम्पूर्ण ग्रेच्युटी टैक्स फ्री होती है। हालांकि, अगर आप निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं, तो आपकी ग्रेच्युटी पर टैक्स फ्री सीमा 20 लाख रुपये तक होती है। धारा 10(10) के तहत, यह सीमा लागू होती है, और इससे अधिक राशि पर सामान्य दरों से टैक्स लगता है।

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इसके अतिरिक्त, यह जानना महत्वपूर्ण है कि पीएफ और ग्रेच्युटी दोनों में ही कुछ शर्तें लागू होती हैं। पीएफ के मामले में, यदि आप पांच साल से पहले पीएफ अकाउंट बंद करते हैं, तो आपको टैक्स देना पड़ सकता है। वहीं, ग्रेच्युटी के लिए आवश्यक है कि आप कम से कम पांच साल की सेवा पूरी करें, तभी आपको टैक्स फ्री लाभ मिलेगा। इस प्रकार, पीएफ और ग्रेच्युटी के सही प्रबंधन से आप अपनी टैक्स देनदारी को काफी हद तक कम कर सकते हैं और अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।

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गिफ्ट और पुरस्कार
इनकम टैक्स (आयकर) के नियमों के तहत, कुछ विशेष प्रकार के गिफ्ट और पुरस्कार टैक्स फ्री होते हैं। सबसे पहले, किसी भी प्रकार के गिफ्ट की राशि यदि 50,000 रुपये से कम हो, तो उस पर इनकम टैक्स नहीं लगता है। इसके अतिरिक्त, यदि गिफ्ट निर्दिष्ट रिश्तेदारों से प्राप्त हुए हैं, जैसे माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी या बच्चों से, तो वह भी टैक्स फ्री होते हैं।

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कुछ विशेष अवसरों पर प्राप्त गिफ्ट, जैसे शादी के समय मिले उपहार भी टैक्स फ्री होते हैं, चाहे उनकी राशि कितनी भी हो। इसके अलावा, कुछ पुरस्कार और ट्रॉफी जो मान्यता या विशिष्ट उपलब्धि के लिए प्रदान की जाती हैं, वे भी टैक्स फ्री होती हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि ये पुरस्कार और ट्रॉफी नगद न हों, अन्यथा उन पर टैक्स लग सकता है।

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ध्यान देने योग्य एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि यदि गिफ्ट या पुरस्कार किसी धर्मार्थ संगठन से प्राप्त हुआ है, तो वह भी टैक्स फ्री होता है। लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वह संगठन सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हो। इसके साथ ही, किसी भी प्रकार की लॉटरी, गेम शो या प्रतियोगिताओं से प्राप्त राशि पर टैक्स लागू होता है, चाहे वह कितनी भी हो।

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इसलिए, यह आवश्यक है कि आप सभी दस्तावेज़ और प्रमाणपत्रों को सुरक्षित रखें ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें प्रस्तुत किया जा सके। यह न केवल आपकी इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि आपको किसी भी संभावित कानूनी परेशानियों से भी बचाएगा।

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विरासत में मिली संपत्ति
विरासत में मिली संपत्ति पर कोई भी इनकम टैक्स नहीं लगता है। इसका मतलब यह है कि जब किसी व्यक्ति को उनके परिवार के किसी सदस्य से संपत्ति विरासत में मिलती है, तो उस पर इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता। विरासत में मिली संपत्ति को टैक्स फ्री इसलिए माना जाता है क्योंकि यह संपत्ति प्राप्तकर्ता की कमाई नहीं होती, बल्कि यह उन्हें उपहार या उत्तराधिकार के रूप में मिलती है।

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हालांकि, विरासत में मिली संपत्ति को टैक्स फ्री मानने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं। सबसे पहले, आपको उस संपत्ति की वसीयत या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है, जो यह दर्शाता है कि संपत्ति आपको कानूनी रूप से विरासत में मिली है। इसके अलावा, संपत्ति की वैल्यूएशन रिपोर्ट भी आवश्यक हो सकती है, जो संपत्ति की मौजूदा वैल्यू को प्रमाणित करती है।

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अगर संपत्ति का मालिकाना हक आपके नाम पर ट्रांसफर हो गया है, तो आपको संपत्ति के ट्रांसफर से संबंधित सभी दस्तावेज भी प्रस्तुत करने पड़ सकते हैं। इसमें संपत्ति के रजिस्ट्रेशन डीड, स्टैम्प ड्यूटी और अन्य संबंधित दस्तावेज शामिल हो सकते हैं। यह सभी दस्तावेज यह सुनिश्चित करते हैं कि संपत्ति वास्तव में आपको विरासत में मिली है और इस पर कोई टैक्स देय नहीं है।

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इस प्रकार, विरासत में मिली संपत्ति न केवल टैक्स फ्री होती है, बल्कि इसे सही दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत करने से आपको किसी भी कर संबंधी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। यह जानकारी सभी आयकर दाताओं के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपनी विरासत में मिली संपत्ति को सही तरीके से संभाल सकें और किसी भी अनावश्यक कर से बच सकें।

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विशेष छूट वाली आय
आयकर विभाग द्वारा कुछ प्रकार की आय को विशेष छूट प्रदान की गई है, जिससे इनकम टैक्स नहीं लगता है। यह छूट विभिन्न परिस्थितियों और शर्तों पर आधारित होती है, जिसे समझना आवश्यक है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण छूट है, कृषि आय की। यदि आपकी आय कृषि से होती है, तो उस पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता। हालांकि, यह छूट केवल उन लोगों के लिए है जो कृषि कार्य से सीधे जुड़े हैं और उनके पास कृषि भूमि है।

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दूसरी महत्वपूर्ण छूट है, उपहार की आय पर। यदि आपको किसी करीबी रिश्तेदार से उपहार मिलता है, तो उस पर टैक्स नहीं लगता है। हालांकि, यह छूट केवल तब लागू होती है जब उपहार की राशि एक निश्चित सीमा के भीतर हो। इसके अतिरिक्त, यदि उपहार किसी विशेष अवसर जैसे शादी के मौके पर मिलता है, तो भी वह करमुक्त होता है।

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तीसरी छूट है, करमुक्त बॉन्ड्स से प्राप्त ब्याज की। यदि आपने करमुक्त बॉन्ड्स में निवेश किया है, तो उनसे प्राप्त होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं लगता। यह छूट निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए दी जाती है ताकि वे सरकार द्वारा जारी बॉन्ड्स में निवेश करें और देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाएं।

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अन्य महत्वपूर्ण छूटों में शैक्षिक छात्रवृत्ति, कुछ बीमा योजनाओं से प्राप्त राशि, और पेंशन भी शामिल हैं। शैक्षिक छात्रवृत्ति पर कोई टैक्स नहीं लगता है, बशर्ते वह शिक्षा के उद्देश्य से प्राप्त हो। इसी प्रकार, कुछ बीमा योजनाओं से प्राप्त धनराशि और पेंशन भी टैक्स मुक्त होती हैं, यदि वे निर्धारित शर्तों को पूरा करती हैं।

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इन छूटों का लाभ उठाने के लिए आवश्यक है कि आप सही और सटीक जानकारी दें और सभी निर्धारित नियमों का पालन करें। इस प्रकार, विशेष परिस्थितियों में प्राप्त आय पर टैक्स छूट का लाभ उठाया जा सकता है, जिससे आपकी वित्तीय स्थिति और भी मजबूत हो सकती है।

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निष्कर्ष
ऊपर बताए गए विभिन्न प्रकार की टैक्स फ्री इनकम को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब आप अपना ITR फाइल कर रहे हों। चाहे वह कृषि आय हो, गिफ्ट्स, स्टूडेंट स्कॉलरशिप्स, या फिर टैक्स फ्री बॉन्ड्स से होने वाली इनकम; इन सभी को सही तरीके से पहचानना और रिपोर्ट करना आवश्यक है। इनकम टैक्स के नियमों के तहत इनकम के प्रकारों को समझने और सही तरीके से लाभ उठाने के लिए हर टैक्सपेयर को जागरूक होना चाहिए।

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ITR फाइल करते समय इन बिंदुओं का विशेष ध्यान रखें कि आप किसी भी प्रकार की टैक्स फ्री इनकम को सही तरीके से रिपोर्ट करें। यह भी सुनिश्चित करें कि आपको सभी दस्तावेज़ और प्रमाणपत्र तैयार हों जो आपकी इनकम के स्रोत को सिद्ध कर सकें। इससे न केवल आपका टैक्स कम्प्लायंस सुनिश्चित होगा, बल्कि भविष्य में किसी भी अनियमितता से भी बचा जा सकेगा।

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सामान्य टिप्स और सावधानियों के रूप में, अपने सभी वित्तीय दस्तावेज़ों को साल भर अच्छी तरह से संग्रहीत रखें, ताकि ITR फाइल करते समय आपको किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। किसी विशेषज्ञ या चार्टर्ड अकाउंटेंट की सलाह लेना भी फायदेमंद हो सकता है, खासकर जब आपकी इनकम के स्रोत विविध हों।

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अंत में, यह याद रखें कि इनकम टैक्स एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, और सही तरीके से ITR फाइल करना न केवल कानूनी रूप से आवश्यक है, बल्कि यह आपके वित्तीय प्लानिंग में भी सहायक हो सकता है।

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